Monday, 31 August 2020

khwab hindi shayari

महक जाती थीं गलियां जब जनाब हमारे गुज़रते थे
कुछ दिन पहले तक हमारी आंखों से कैसे ख्वाब गुज़रते थे.!!
(रिज़वान)

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