महक जाती थीं गलियां जब जनाब हमारे गुज़रते थे कुछ दिन पहले तक हमारी आंखों से कैसे ख्वाब गुज़रते थे.!! (रिज़वान)
महक जाती थीं गलियां जब जनाब हमारे गुज़रते थे कुछ दिन पहले तक हमारी आंखों से कैसे ख्वाब गुज़रते थे.!! (रिज़वान)